संतोष पांडेय हत्याकांडः झारखंड के मंत्री जगरनाथ महतो के छोटे भाई समेत सात को उम्रकैद, इश्क के जुर्म में दी थी मौत की सजा

रांची
बोकारो में 25 वर्षीय संतोष पांडेय की पीट-पीटकर हत्या के मामले में झारखंड के मंत्री जगरनाथ महतो के भाई बैजनाथ महतो सहित सात लोगों को बोकारो जिले की तेनुघाट व्यवहार कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही तीन अन्य अभियुक्तों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।

तेनुघाट व्यवहार न्यायालय के जिला जज प्रथम राजीव रंजन कुमार की अदालत ने बोकारो जिले के नावाडीह थाना क्षेत्र में साल 2014 में चर्चित संतोष पांडेय हत्याकांड मामले में मंत्री जगरनाथ महतो के भाई बैजनाथ महतो, गणेश भारती, नेमी पुरी, कैलाश पुरी, जितेंद्र पुरी, नीरज पुरी एवं केवल महतो को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सभी अभियुक्तों पर दस-दस हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। जबकि तीन अभियुक्त सत्येन्द्र गिरी, मेहलाल पुरी एवं सूरज पुरी को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया गया है।

साल 2014 में हुई थी संतोष की हत्या
नावाडीह थाना क्षेत्र के अलारगो गांव निवासी संतोष पांडेय की हत्या 20 मार्च 2014 हुई थी। इस संबंध में मृतक के बड़े भाई की ओर से थाने में मामला दर्ज किया गया था। दर्ज प्राथमिकी में कहा गया था कि उसके छोटे भाई संतोष पांडेय को तत्कालीन डुमरी विधायक जगरनाथ महतो ने अपने आवास के सामने जनता दरबार लगाकर पीटने का आदेश दिया था। फिर विधायक के भाई बैजनाथ महतो की अगुवाई में उसके भाई को पीटा गया था। पिटाई से बेहोश हुए भाई को डीवीसी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी मौत हो गई।

प्यार के जुर्म में दी गई थी मौत की सजा
संतोष को मौत की यह सजा प्यार करने के जुर्म में दी गई थी। जिस लड़की से उसने प्रेम किया था उसे कुछ दिन पहले तक ट्यूशन पढ़ाया करता था। उसे लगा कि यहां उसके प्रेम को स्वीकार नहीं किया जाएगा तो वह प्रेमिका के साथ उसके कहने पर ही चेन्नई चला गया था। इसकी जानकारी गांव पहुंची तो कई लोग चेन्नई पहुंचे और उन दोनों को लेकर गांव आये। रास्ते में भी संतोष को बुरी तरह प्रताड़ित किया गया। गांव पहुंचने के पहले ही लड़की को ट्रेन से उतारकर किसी रिश्तेदार के घर भेज दिया गया और संतोष को गांव में लगी अदालत में पेश किया गया, जहां उसे बेरहमी से पीटा गया। इस मामले में 4 जनवरी को अदालत ने सात लोगों को दोषी करार दिया था।

इससे पहले अभियोजन पक्ष की ओर से 34 गवाहों का बयान न्यायालय में दर्ज किया गया। इस मामले में जगरनाथ महतो को भी तब इस मामले में आरोपी बनाया गया था, लेकिन घटना के तत्काल बाद एसआईटी जांच में उनके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला। उन्हें इस मामले से क्लीनचीट दे दिया गया। जांच के बाद दस अभियुक्तों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया गया। मामले की सुनवाई लगभग सात वर्षों में पूरी हुई।

रिपोर्ट: रवि सिन्हा

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