ट्रंप ने जाते-जाते चीन को दिया एक और झटका, सरकारी तेल कंपनी CNOOC को किया बैन

वॉशिंगटन
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के बचे हुए चंद दिनों में चीन को एक और बड़ा झटका दिया है। अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने गुरुवार को चीन की सरकारी तेल कंपनी CNOOC को ब्लैकलिस्ट कर दिया। इतना ही नहीं, अमेरिका ने इस चीनी कंपनी को अपने शेयर बाजार S&P के स्टॉक सूचकांकों से भी हटवा दिया है। अब यह कंपनी किसी भी तरीके से अमेरिका में व्यापार नहीं कर पाएगी।

अमेरिका बोला- CNOOC चीनी सेना के लिए करती थी काम
अमेरिकी वाणिज्य सचिव विल्बर रॉस ने प्रतिबंध के बाद कहा कि दक्षिण चीन सागर में चीन की लापरवाह और उकसावे की हरकतें जारी है। वह पूरे क्षेत्र का सैन्यीकरण के प्रयास में जुटा हुआ है। इससे चीन के दूसरे देशों से संवेदनशील बौद्धिक संपदा और प्रौद्योगिकी हासिल करने के अभियान को तगड़ा झटका लगेगा। उन्होंने यह भी कहा कि CNOOC चीन के पड़ोसियों को डराने के लिए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिए काम करती है।

पहले भी कई चीनी कंपनियों को बैन कर चुका है अमेरिका
दिसंबर में ही अमेरिका ने चीन की सबसे बड़ी चिपमेकर कंपनी सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इंटरनेशनल कॉर्पोरेशन (एसएमआईसी) और ड्रोन निर्माता एसजेड डीजेआई टेक्नोलॉजी सहित दर्जनों चीनी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया था। ये कंपनियां अब न तो अमेरिका में कोई व्यापार कर पाएंगी, न ही अपनी प्रॉपर्टी और बैंक बैलेंस का उपयोग कर सकेंगी।

चीन को गहरा जख्म देना चाहते हैं ट्रंप
हाल के दिनों में डोनाल्ड ट्रंप ने चीन की कई कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। इनमें ज्यादातर वे कंपनियां हैं जो चीनी सेना के साथ व्यापार करती हैं। ट्रंप ने अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में अपने प्रतिद्वंद्वी आर्थिक शक्ति चीन के खिलाफ आक्रामक राजनयिक और व्यापार नीतियों को लागू किया है। अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने यह भी कहा कि चीन ने हमारे उन्नत तकनीकियों का इस्तेमाल अपनी सेना को आधुनिक बनाने में किया है और हम ऐसा होते हुए नहीं देख सकते हैं।

अमेरिका ने इन कंपनियों से राष्ट्रीय सुरक्षा को बताया खतरा
अमेरिका ने चीन की इन कंपनियों को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए प्रतिबंधित किया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल के दिनों में चीन के खिलाफ कई बड़े फैसले लिए हैं। जिसके कारण अमेरिका और चीन में आर्थिक और सैन्य तनातनी बढ़ने की संभावना और ज्यादा हो गई है। दोनों देश पहले ही साउथ चाइना सी, हॉन्ग कॉन्ग, ताइवान और जासूसी जैसे मामलों को लेकर भिड़े हुए हैं।

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