पीएफ से जुड़े इस नियम को दो साल के लिए निलंबित करने की हुई मांग

नई दिल्लीकोरोनावायरस (Corona Virus) की वजह से देश भर में हुए लॉकडाउन (Lockdown) से कारोबार पूर्व स्तर पर नहीं आ पाया है। अनलॉक (Unlock) के बाद कारोबार एवं बाजार खुला तो, लेकिन धंधा हो नहीं रहा है। ऐसे में छोटे कारोबारियों () के यहां एवं दुकानों में कर्मचारियों की संख्या में भी कमी आई है। लेकिन भविष्य निधि () से जुड़े कुछ नियम ऐसे हैं, जिससे इन्हें परेशानी हो रही है। इसलिए इन्होंने केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष गंगवार से कानून ( Act) 1952 की धारा 1 (5) को कम से कम दो साल के लिए निलंबित रखने का अनुरोध किया है।

छोटे व्यापारियों के अधिकतर कर्मचारी काम छोड़ चुके हैं
व्यापारिक संगठन फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल (फैम) के महासचिव वी के बंसल का कहना है कि निरंतर बाजार बंदी और अर्थव्यवस्था में आई सुस्ती ने छोटे व्यापारियों की व्यावसायिक गतिविधियों को काफी हद तक सीमित कर दिया है। इन छोटे व्यापारियों के अधिकांश कर्मचारी काम छोड़ कर अपने मूल स्थान को पलायन कर गए हैं। भविष्य निधि कानून की धारा 1(5) के प्रावधान के अनुसार यदि किसी भी प्रतिष्ठान में कर्मचारियों की संख्या 20 तक पहुंचती है तो उसे पीएफ विभाग () में पंजीकरण (Registration) कराना अनिवार्य हो जाता है। लेकिन यदि वहां कर्मचारी की संख्या 20 से कम भी हो जाए तो संस्थान पीएफ पंजीकरण को आत्मसमर्पण नहीं कर सकता है।

इस प्रावधान से मिले छूट
फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया व्यापार मंडल (फैम) का कहना है कि इस समय कारोबारी प्रतिष्ठानों में कर्मचारियों की संख्या 20 से काफी कम हो गई है। लेकिन पीएफ काूनन के मुताबिक वह पीएफ का पंजीकरण सरेंडर नहीं कर सकते । इसलिए इस संबंध में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार को एक पत्र लिख कर प्रोविडेंट फण्ड कानून की धारा 1(5) की प्रयोज्यता को कम से कम दो साल के लिए निलंबित करने का अनुरोध किया गया है। अपने पत्र में फैम ने उल्लेख किया है कि पहले वे छोटे व्यवसायी, जिनकी कर्मचारियों की संख्या 20 से अधिक थी, प्रोविडेंट फंड के नियमों का खुशी से पालन करत रहे थे। लेकिन लॉक डाउन एवं बाजार बंदी के बाद कारोबारी प्रतिस्ठानों में कर्मचारियों की संख्या में गिरावट आई है।

इस समय नियमों का पालन करना मुश्किल
फैम का कहना है कि वर्तमान परिस्थिति में विभिन्न श्रम कानूनों के प्रावधानों का पालन करना बहुत मुश्किल हो गया है। कड़े कानूनों से बचने के लिए व्यापारी और छोटे व्यवसायी अपना कारोबार बंद करना पसंद कर रहे हैं। हालांकि इससे रोजगार की स्थिति और खराब हो गई है क्योंकि मुख्य पीड़ित गांवों और अर्ध शहरी क्षेत्रों से अशिक्षित युवा हैं।

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