कोरोना से हुए नुकसान से खुद लड़ रहे हैं, केंद्र और राज्य सरकार दे थोड़ी सहायता तो पार हो जाएंगे ये

सूरज सिंह, नई दिल्लीवैश्विक महामारी कोरोना () में प्लास्टिक उद्योग (Plastic Indistry) को भी काफी नुकसान झेलना पड़ा है। अब कच्चे माल (Raw Materials) के दाम बढ़ने से निर्माताओं (Manufacturers) की चिंता बढ़ गई है। सभी चाहते हैं कि रॉ मैटेरियल के दाम घटेंगे या इस पर नियंत्रण होगा, तो प्रॉडक्शन अच्छा होगा। बाजार में कंपनी रेट से कम भाव में उत्पाद बिकेंगे, तो छोटे व्यापारियों को नुकसान होना तय है। कोरोना की वजह से लागू लॉकडाउन में काफी श्रमिक घर चले गए हैं, जो अब तक नहीं लौटे हैं।

सरकार से कई तरह की राहत की दरकार
आर्थिक तंगी झेल रही प्लास्टिक सामाना बना रहे माइक्रो इंडस्ट्री को सरकार से कई तरह की राहत की दरकार है। कारोबारियों की मांग है कि वर्ष 2021 में केंद्र और राज्य, दोनों सरकारें प्लास्टिक उद्योग को उबारने का प्रयास करे। उनका कहना है कि सिंगल यूज प्लास्टिक को एकदम से हानिकारक बताना भी ठीक नहीं है। कोरोना काल में हेल्थ, फूड और पैकेजिंग सेक्टर में प्लास्टिक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आइए जाने क्या कह रहे हैं के ट्रेडर्स :

छोटे उद्योगों के कच्चे माल के दाम में आए स्थिरता
ऑल इंडिया प्लास्टिक इंडस्ट्री एसोसिएशन के संरक्षक रवि अग्रवाल का कहना है कि दाना बनाने वाली कंपनियां मनमाने ढंग से कीमतें बढ़ाती हैं, जिस वजह से प्लास्टिक उत्पादों के निर्माताओं को नुकसान होता है। हमें आशा है सरकार 2021 में ऐसा प्रबंध करे कि माइक्रो प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में कच्चे माल के दाम में स्थिरता हो। कम से कम एक महीने तक कच्चे माल के रेट स्थिर रहने चाहिए। कई कंपनियां अनाप-शनाप डिस्काउंट्स भी देती हैं, जिसकी वजह से छोटे निर्माताओं को मुनाफा खत्म हो जाता है। सरकार एक रेग्यूलेटरी संस्था बनाए, ताकि सभी तरह के व्यापारियों को एक दाम पर माल मिले। इंडस्ट्री से करोड़ों लोगों का रोजगार जुड़ा है। दिल्ली सरकार ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ाई है, जिस पर पुनर्विचार किया जाए। कोरोना काल में लॉकडाउन की वजह से ठप हुई इंडस्ट्री में मजदूरों के साथ नौकरी देने वाले भी संकट में हैं। जब इनकम नहीं हो रही, तो वर्कर्स को बढ़ी सैलरी कैसे दे सकते हैं? अभी ट्रेडर्स को खुद सरकारी राहतों की जरूरत है, उस पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, तो इंडस्ट्री उठने से पहली बर्बाद हो जाएगी। छोटी फैक्ट्री मालिकों को आसान किश्तों को लोन मिलना चाहिए। बिजली के फिक्स चार्ज में छूट दी जाए। देश में छोटी इंडस्ट्री सबसे अधिक रोजगार देती है, जिस पर 34 प्रतिशत एक्सपोर्ट भी निर्भर है।

प्लास्टिक को जहर की नजर से नहीं देखें
दिल्ली प्लास्टिक पैकेजिंग इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रेसिडेंट दिनेश कुमार का कहा है कि लॉकडाउन में काफी श्रमिक अपने घर चले गए। अभी तक सारे मजदूर वापस नहीं आए हैं। इसकी वजह से प्रॉडक्शन पर असर पड़ रहा है। कच्चे माल की कीमत काफी बढ़ गई है। प्लास्टिक पैकेजिंग के रॉ मैटरियल में करीब 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जिसका इंडस्ट्री पर बुरा असर पड़ रहा है। सरकार की ओर जो राहत पैकेज मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। आशा है एमनेस्टी स्किम लाकर पानी और हाउस टैक्स में राहत मिलेगी। पैकेजिंग इंडस्ट्री ने कोरोना को कंट्रोल करने में काफी सहयोग किया। पीपीई किट, डिस्पोजेबल ग्लब्स भी हमारी इंडस्ट्री से जुड़ी है। सरकार सिंगल यूज प्लास्टिंग बंद करने की बात करती है, तो इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए। ये कभी बंद नहीं हो सकती है।

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