केन्द्रीय बजट संतुलित – कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)

रायपुर। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) देश के 8 .5 करोड़ व्यापारियों का प्रतिनिधित्व करता है। कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, प्रदेश कार्यकारी मगेलाल मालू, प्रदेश कार्यकारी अघ्यक्ष विक्रम सिंह देव, प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र दोषी, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन, प्रदेश कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल, ने बताया कि केंद्रीय बजट पर कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि केंद्रीय बजट में देश के वरिष्ठ नागरिकों को कर के बोझ से राहत देना और स्वास्थ्य क्षेत्र व उसमें सेवाओं के मजबूत विकास को सुनिश्चित करना इस बजट की मुख्य विशेषता है। इस बार के बजट में कोई भी नया कर नहीं लगाया गया है। जिससे ये बजट और भी प्रभावी बन जाता है। हालांकि देश भर में पिछले एक पखवाडे से नए कर लगाने की तमाम अटकलें लगाईं जा रहीं थी जिन पर अब विराम लग गया है ।

बाजार को बड़ी ताकत मिलेगी

कैट के अनुसार केंद्रीय बजट के कई प्रावधानों से बाजार को बड़ी ताकत मिलेगी। चाहे वह एमएसएमई के लिए दोगुने प्रावधान हो चाहे, कृषि और स्वास्थ्य के लिए बेहतर घोषणाएं हो। रोड, रेल, रियल एस्टेट, एमएसएमई, कार्पोरेट आदि सेक्टरों में कई अच्छी घोषणाएं हुई हैं। टैक्स ऑडिट की सीमा 5 से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए कर दी गई है। ऑटोमोबाइल्स सेक्टर के लिए स्क्रैप पॉलिसी से वायु प्रदूषण में लगाम लगने के साथ ही ऑटोमोबाइल्स को बूस्टर मिलेगा। रियल एस्टेट सेक्टर में अफोर्डेबल हाउसिंग सेक्टर के लिए 1. 50 लाख रुपए की सब्सिडी एक साल यानि 2022 तक बढ़ा दी गई। इससे रियल एस्टेट को काफी मदद मिलेगी। डिजिटल इंडिया कैंपेन के लिए 3700 करोड़ का प्रावधान किया गया है। स्टैंडअप इंडिया के लिए अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए मार्जिन मनी की जरूरत 25 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी कर दिया गया है। बजट में कॉर्पोरेट टैक्स में भी राहत मिली हैं, वहीं डिविडेंड टैक्स हटाया गया है। छोटे करदाताओं के लिए डिस्पियूट रिजॉल्यूशन कमेटी की स्थापना की जाएगी, जिसमें 50 लाख 50 लाख तक की आय वाले इस कमेटी के पास जा सकते हैं। सभी मामले इलेक्ट्रॉनिक तरीके से निपटाए जाएंगे। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से भी बात होगी।

जीएसटी अत्यधिक जटिल कर प्रणाली

कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा की हम वित्त मंत्री से असहमत हैं कि जीएसटी को तर्कसंगत बनाया गया है। जबकि ठीक इसके विपरीत जीएसटी अत्यधिक जटिल कर प्रणाली बन गई है । इस बात का गहरा अफसोस है कि भारत के खुदरा व्यापार के लिए कोई समर्थन नीति घोषित नहीं की गई है, जो 80 लाख करोड़ से अधिक का वार्षिक कारोबार करता है और देश में लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है । हम इस मुद्दे को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के समक्ष रखेंगे। आयकर स्लैब में बदलाव नहीं होने से निराशा है। कोरोना महामारी की पृष्ठभूमि में इससे बेहतर बजट नहीं आ सकता था। बजट के लिए हम प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन को बधाई देते हैं। इस बजट के जरिये सरकार ने देश केे मजबूूूत भविष्य को परिभाषित करने के लिए एक निश्चित रोडमैप प्रदान किया है।

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