रायपुर। विवाहित महिलाओं में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व है। हर साल देश भर में हिंदू महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र व अच्छे स्वास्थ्य के लिए वट सावित्री पूजा के अवसर पर बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं और व्रत रखती हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार हर साल ज्येष्ठ मास की अमावस्या को मनाया जाता है। इस वर्ष वट सावित्री 10 जून, दिन गुरुवार को मनाई जाएगी। दृक पंचांग के मुताबिक अमावस्या तिथि जून 09, 2021 को दोहपर 01:57 बजे प्रारम्भ होगी और जून 10, 2021 को शाम 04:22 पर समाप्त होगी।
महिलाएं पति को लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं
वट सावित्री व्रत दिवस सावित्री की बहादुरी को याद करने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने अपने पति सत्यवान को वापस लाने के लिए यमराज से लड़ाई लड़ी थी। इसलिए इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और वट सावित्री से अपने पति को लंबी उम्र और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देने की प्रार्थना करती हैं। हालांकि उत्तर भारत में यह व्रत अमावस्या को मनाया जाता है, लेकिन दक्षिण भारत में वैशाख के महीने में पूर्णिमा (पूर्णिमा के दिन) को भी यही त्योहार मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह त्योहार मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है।
सावित्री ने पति सत्यवान के प्राण यम से छुड़ाए थे
राजा अश्वपति की बेटी सावित्री ने सत्यवान से शादी की, जिसे शादी के एक साल बाद मरने का श्राप था। विवाह के एक वर्ष पूरा होते ही सत्यवान ने प्राण त्याग दिए। सावित्री ने इसे स्वीकार नहीं किया और मृत्यु के देवता यमराज के पीछे चलकर पति को दूर न ले जाने की विनती की। सावित्री के समर्पण से प्रभावित हो यम ने उसे तीन वरदान मांगने को कहा लेकिन यह भी कहा कि तुम सत्यवान का जीवन नहीं मांगोगी। सावित्री ने तीसरे वरदान में 100 संतानों और सौभाग्य का वरदान मांगा। यमराज ने जैसे ही यह वर दिया सावित्री ने फिर कहा कि वह एक पतिव्रता है और पुत्रवती होने का आशीर्वाद दिया तो बिना पति सत्यवान के यह कैसे संभव है। इस पर यमराज को सत्यवान के प्राण छोड़ने पड़े थे।