रायपुर, 3 जून 2021
नीति आयोग ने राज्यों की प्रगति संबंधी सतत विकास लक्ष्यों के लिए सूचकांक (एसडीजी) इंडिया इंडेक्स 2020-21 रिपोर्ट जारी की है, जिसमें लैंगिक समानता में छत्तीसगढ़ टॉप स्टेट बना है। बता दें कि नीति आयोग की एसडीजी इंडिया इंडेक्स में सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरण के क्षेत्र में राज्यों की प्रगति के आधार पर उनके प्रदर्शन को आंका जाता है और उनकी रैंकिंग की जाती है। इस सूचकांक में ओवर आल रैकिंग में छत्तीसगढ़ ने पिछली बार के मुक़ाबले अपने अंकों में भी सुधार किया है। वहीं, 16 लक्ष्यों में से एक लैंगिक समानता में सभी राज्यों को पीछे छोडते हुये छत्तीसगढ़ ने बाजी मारी है।
छत्तीसगढ़ में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने व महिलाओं और बालिकाओं के सशक्तिकरण संबंधी नीतियों को अपनाया गया है, जिसके लिए प्रदेश में कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलाई जा रही है। यही वजह है कि लिंगानुपात में भी छत्तीसगढ़ देश के शीर्ष राज्यों में शामिल है। प्रदेश में महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक निर्णयों एवं नेतृत्व के समान अवसर व सहभागिता प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है। जिसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा सखी-वन स्टॉप सेंटर, बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ, नोनी सुरक्षा योजना, नवा बिहान योजना, सक्षम योजना, स्वावलंबन संबंधी योजनाएँ चलाई जा रही है। वहीं, महिलाओं के सशक्तिकरण हेतु सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य में भूमि, संपत्ति आदि पर कानून के अनुसार महिलाओं का स्वामित्व एवं नियंत्रण सुनिश्चित कराया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ में महिला प्रगति के क्षेत्र:-
छत्तीसगढ़ में महिलाओं की सभी क्षेत्रों में भागीदारी वह उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों का महत्वपूर्ण योगदान हे। पंचायतो में 50 फीसदी हिस्सेदारी के साथ सहभागिता हो या आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, पर्यवेक्षक, सुपोषण मित्र, मितानिन, शिक्षिका या स्व-सहायता समूह के रूप में महिलाएं प्रदेश़ की नींव मजबूत करने में महत्वपूर्ण भागीदारी कर रहीं हैं।
छत्तीसगढ़ में शासकीय उचित मूल्य की दुकानों के संचालन, आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए पूरक पोषण आहार, रेडी-टू-इट फूड और स्कूलों में मध्यान्ह भोजन तैयार करने का कार्य । आंगनबाड़ी केन्द्रों में बच्चों के लिए नाश्ता और गर्म पके हुए भोजन तैयार करने का काम भी महिला समूह की महिलाएं कर रही हैं।
सुराजी गांव योजना में ग्रामीण महिलाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए महिला स्वसहायता समूहों के माध्यम से गोबर के विभिन्न उत्पादों के आलावा उन्हें दुग्ध उत्पादन सहित अन्य आर्थिक गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है।